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|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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[[Category:दोहे]]
[[Category:व्यंग्य]]
मन में कपट कटार है , मुख पर है मुस्कान ।
डोलते अब गली-गली में डोलते , ऐसे ही इंसान ॥ 2॥