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वासना / भरत ओला
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हर रोज
अल सुबह
आ खड़ा होता है वह
टैगोर चौक पर
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हर रोज
अल सुबह
आ खड़ा होता है वह
टैगोर चौक पर
आज भी
आशिष पुरोहित
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