Changes

एक वाकया / साहिर लुधियानवी

182 bytes added, 07:34, 6 फ़रवरी 2011
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=साहिर लुधियानवी
|संग्रह =तलखियाँ/ साहिर लुधियानवी
}}
अंधियारी रात के आँगन में ये सुबह के कदमों की आहट
 
ये भीगी-भीगी सर्द हवा, ये हल्की हल्की धुन्धलाहट
 
गाडी में हूँ तनहा महवे-सफ़र और नींद नहीं है आँखों में
 
भूले बिसरे रूमानों के ख्वाबों की जमीं है आँखों में
 
अगले दिन हाँथ हिलाते हैं, पिचली पीतें याद आती हैं
 
गुमगश्ता खुशियाँ आँखों में आंसू बनकर लहराती हैं
 
सीने के वीरां गोशों में, एक टीस-सी करवट लेती है
 
नाकाम उमंगें रोती हैं उम्मीद सहारे देती है
 
वो राहें ज़हन में घूमती हैं जिन राहों से आज आया हूँ
 
कितनी उम्मीद से पहुंचा था, कितनी मायूसी लाया हूँ
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits