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15:45, 6 फ़रवरी 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बशीर बद्र
|संग्रह=उजाले अपनी यादों के / बशीर बद्र
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{{KKCatGhazal}}
<poem>
ये चिराग़ बेनज़र है ये सितारा बेज़ुबाँ है
अभी तुझसे मिलता जुलता कोई दूसरा कहाँ है
वही शख़्स जिसपे अपने दिल-ओ-जाँ निसार कर दूँ
वो अगर ख़फ़ा नहीं है तो ज़रूर बदगुमाँ है
कभी पा के तुझको खोना कभी खो के तुझको पाना
ये जनम जनम का रिश्ता तेरे मेरे दरमियाँ है
मेरे साथ चलनेवाले तुझे क्या मिला सफ़र में
वही दुख भरी ज़मीं है वही ग़म का आस्माँ है
मैं इसी गुमाँ में बरसों बड़ा मुत्मईन[1] रहा हूँ
तेरा जिस्म बेतग़ैय्युर[2] है मेरा प्यार जाविदाँ[3] है
उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे
मुझे रोक रोक पूछा तेरा हमसफ़र कहाँ है
शब्दार्थ:
↑ संतुष्ट
↑ जो बदले नहीं
↑ अमर
</poem>