प्रेम में
तब बना पानी
वह पॄथ्वी का सबसे आदिम
क्षण था,
सृष्टि की सबसे पुरानी
रासायनिक अभिक्रिया
कि जहां दो तत्वों के मेल से
एक यौगिक बना,
उस आदिम क्षण में
एक लड़की थी
यानि कि पृथ्वी पर उपलब्ध
सबसे हल्का रासायनिक तत्व,
उसे भरा जा सकता था
गुब्बारों में और फिर
बैठ कर उन गुब्बारों में
उड़ा जा सकता था
सातवें आसमान तक,
हालांकि उसके दूसरे गुण-धर्म
परेशान करने वाले थे
वह प्रज्ज्वलित हो सकती थी
ज़रा सी आँच पाकर,
उसे बमों में
बदला जा सकता था
और गिराया जा सकता था
किसी भी आदिम बस्ती में
लेकिन एक आदिम क्षण में
डूबी वह प्रेम में आकण्ठ
और इस तरह बना पानी,
वह लड़का, हवाओं-सा, लहराता था
पृथ्वी पर,
एक दिन क़ैद हुआ
हल्की, नाज़ुक-सी बाहों में,
वायुमण्डल की एक-बटा-पाँच हवा
उसी दिन से आती-जाती रहती है
प्रेम में डूबी साँसों में,
इसके भी थे अपने गुण-धर्म
जैसे कि, वह (स्वभाव से) दाहक था
पर बिना ख़ुद जले
दूसरों को जलाता था धू-धू कर,
एक आग का दरिया
उसी दिन बह निकला शायद
जिसमें डूबे शायर-आशिक कितने
डूबे पण्डित-मौलवी, सन्त-फ़कीर
ऋषियों ने रचीं ऋचाएँ उसी दिन
और जन्मा सृष्टि पर
पहला-पहला संगीत,
जब एक लड़की डूबी आकण्ठ
एक लड़के के प्रेम में, तो बना
तरल-शीतल एक यौगिक
जिसे पानी कहा लोगों ने
पानी इस सृष्टि पर
पहली कविता है, नपे-तुले छंद में
कविता के आलोचकों,
यह आदि-कवि के कण्ठ से फूटे
पहले श्लोक से भी पुरानी घटना है
कि एक हल्की, नाज़ुक-सी लड़की
और एक लड़का हवाओं-सा
जब डूबे प्रेम में तो बना पानी
(रसायन-शास्त्री इनके नाम
हाइड्रोजन और आक्सीजन बताते हैं)।
</poem>