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प्रिय प्रवास / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ / द्वितीय सर्ग / पृष्ठ - १
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::मधुमयी गलियाँ सब थीं बनी।
::ध्वनित सा कुल गोकुल-ग्राम था।१०॥
::
सुन पड़ी ध्वनि एक इसी घड़ी।
अति – अनर्थकरी इस ग्राम में।
विपुल वादित वाद्य-विशेष से।
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