गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
औरतें / अनिल जनविजय
24 bytes added
,
07:32, 8 फ़रवरी 2011
|संग्रह=राम जी भला करें / अनिल जनविजय
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
औरतें
शहरों की तरह होती हैं
जिन्हें
जितना ज़्यादा निकट से
तुम देखते हो
उन्हें
उतना ही कम
तुम जानते हो
(1998)
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits