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ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा / दाग़ देहलवी
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13:42, 8 फ़रवरी 2011
ये समझकर तुझे ऐ मौत लगा रक्खा है
काम आता है बुरे वक़्त में आना तेरा
ऐ दिले शेफ़्ता में आग लगाने वाले
तर्के आदत से मुझे नींद नहीं आने की
कहीं नीचा न हो ऐ
गौर<ref>क़ब्र</ref>
सिरहाना तेरा
मैं जो कहता हूँ उठाए हैं बहुत रंजेफ़िराक़
द्विजेन्द्र द्विज
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