'''उत्केंद्रित ?'''
मैं ज़िंदगी से भागना नहीं
मनुष्यता की ओर ज़्यादा सरका हुआ......
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'''जन्म-कुंडली'''
गोदती चली जाती.....वृक्ष......वृक्ष......वृक्ष
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पूर्णतर लौटूँगा
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घर पहुँचना
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कविः कुंवर नारायण
प्रस्तुतिः जयप्रकाश मानस