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जीवाश्म होने तक / पूरन मुद्गल
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17:55, 13 फ़रवरी 2011
तुम मोहंजोदड़ो हो गए
तो क्या हुआ
वक्त
वक़्त
ने धूल के दुशाले
डाल दिए तुम पर
इससे क्या !
और
एक भरे प्याले से छलकती तृप्ति का अहसास
</poem>
अनिल जनविजय
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