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हुई राह मुश्किल तो क्या कर चले / गौतम राजरिशी
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09:18, 27 फ़रवरी 2011
जो कमबख़्त होता था अपना कभी
उसी दिल को हम आपका कर चले
{द्विमासिक सुख़नवर, जुलाई-अगस्त 2010}
</poem>
Gautam rajrishi
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