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दुआ किसी की भी ख़िदमतगुज़ार होती नहीं / तुफ़ैल चतुर्वेदी
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07:33, 3 मार्च 2011
यहां पे थोड़ी बहुत छूट लेना पड़ती है
शराफ़तों से बुराई शिकार होती नहीं
अंधेरा साज़िशें करता है रात दिन लेकिन किसी तरह भी उजाले की हार होती नहीं
उफूक उठा के परों पर, उड़ान भरते हैं
हमारे जैसे परिन्दे की डार होती नहीं
Gautam rajrishi
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