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{{KKRachna
|रचनाकार= चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
|संग्रह=गीत माधवी / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
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'''पानी के गीतकविता का एक अंश ही उपलब्ध है । शेषांश आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेज दें''' युवती थी कांख काँख में सूनी गागर लियेलिए
आती है दूर निज
उर को केन्द्रित कियेकिए
पानी के पास आ,
गगरी जल में डुबा
जल का कल शब्द सुन
तन -मन की सुध भुलाउठती क्यों गुनगुना?(पानी के गीत कविता से )
</poem>
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