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13:05, 9 मार्च 2011 कुछ भी कर सकता हूँ मैं लौट के जाने के सिवा
कोई चारा नहीं दिल उसका दुखाने के सिवा
कब चिरागों से कोई काम लिया जायेगा
क्या किया आपने भी घर को जलाने के सिवा
कोई तो नाला इ शबगीर पे बाहर निकले
कोई तो जाग रहा होगा दीवाने के सिवा
और मत देखिये अब अदले-जहाँगीर के ख्वाब
और कुछ कीजिये ज़ंजीर हिलाने के सिवा
बाग़ की सैर से क्या फ़ायदा होना था मुझे
कुछ भी तो चुन न सका ओस के दाने के सिवा
हद तो यह है की वह नाकाम रहा इसमें भी
और क्या करना था अब मुझको भुलाने के सिवा