कुछ भी कर सकता हूँ मैं लौट के जाने के सिवा<br />कोई चारा नहीं दिल उसका दुखाने के सिवा<br />
कब चिरागों से कोई काम लिया जायेगा<br />क्या किया आपने भी घर को जलाने के सिवा <br />
कोई तो नाला इ शबगीर पे बाहर निकले <br />कोई तो जाग रहा होगा दीवाने के सिवा <br />
और मत देखिये अब अदले-जहाँगीर के ख्वाब <br />और कुछ कीजिये ज़ंजीर हिलाने के सिवा <br />
बाग़ की सैर से क्या फ़ायदा होना था मुझे <br />कुछ भी तो चुन न सका ओस के दाने के सिवा<br />
हद तो यह है की वह नाकाम रहा इसमें भी<br />और क्या करना था अब मुझको भुलाने के सिवा<br />