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मेरी ओर से ही / चंद्र रेखा ढडवाल
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डोर डाली तो बिंधने को
चली आईं मछलियाँ
डोर खींची
तो न पानी
न दरिया
न मछलियाँ
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द्विजेन्द्र द्विज
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