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आप भी आइए / जावेद अख़्तर
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10:30, 14 जून 2007
ज़हर पी जाइए और बॉंटिए अमृत सबको
ज़ख्म भी
खइए
खाइए
और गीत भी गाते रहिए।
वक्त ने लूट लीं लोगों की तमन्नाऍं भी,
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Tusharmj