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विनयावली / तुलसीदास / पृष्ठ 4
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जय ताकिहै तमकि ताकी ओर को।
माण्डवी-चित्त-चातक-नवांबुद-बरन,
सरन तुलसीदास अभय दाता।5।
</poem>
Dr. ashok shukla
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