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विनयावली / तुलसीदास / पृष्ठ 2
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10:33, 10 मार्च 2011
महिमाकी अवधि करसि बहु, बिधि हरनि।
तुलसी करू बानि बिमल, बिमल-बारि बरनि।।
</poem>
Dr. ashok shukla
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