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20:29, 23 अगस्त 2007
प्रबल भूप सेवहिं सकल,धुनि निसान बहु साद
Ek phul ke chah Subhdra kumari chauhan ki kavita
१.होंगे वे कोइ और/श्रीकृष्ण सरल
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Sandwivedi