<br><br>*~*~*~*~*~*~* यहाँ से नीचे आप कविताएँ जोड़ सकते हैं ~*~*~*~*~*~*~*~*~<br><br>
चंद्रबरदाई की स्वर्ण रश्मि नैनों के द्वारे<br>सो गये हैं अब सारे तारे<br>चाँद ने भी ली विदाई<br>देखो एक कविता का अंश नयी सुबह है यह, चाहें तो काव्य-कोश में फ़िलहाल इसे ही जोड़ सकते हैं ।आई.<br>
पूरब दिसी गढ़ गढ़्नपति,समुद्र सिषर अति दुग्गमचलते पंछी पंख फैलाते<br>ठंडे हवा के झोंके आते<br>नयी किरण की नयी परछाई<br>देखो एक नयी सुबह है आई. <br>
तहं सुर विजय सुर-राजपति,जादू कुलह अभग्गकहीं ईश्वर के भजन हैं होते<br>लोग इबादत में मगन हैं होते<br>खुल रही हैं अँखियाँ अल्साई<br>देखो एक नयी सुबह है आई. <br>
हसम ह्य्ग्ग्य देई अति, पति सायर भ्रज्जादमोहक लगती फैली हरियाली<br>होकर चंचल और मतवाली<br>कैसे कुदरत लेती अंगड़ाई<br>देखो एक नयी सुबह है आई. <br>
प्रबल भूप सेवहिं सकल,धुनि निसान बहु सादफिर आबाद हैं सूनी गलियाँ<br>खिल उठी हैं नूतन कलियाँ<br>फूलों ने है ख़ुश्बू बिखराई<br>देखो एक नयी सुबह है आई. <br>Ek phul ke chah Subhdra kumari chauhan ki kavita ----------------------------------------------------------- (१) होंगे वे कोइ और / श्री कृष्ण सरल(२) चंद्रसेन विराट की निम्न लिखित कविता****** तुम कभी थे सूर्य लेकिन अब दियों तक आ गये/थे कभी मुख पृष्ठ पर अब हाशियों तक आ गये*******(२)आनंद गुप्ता