श्री तुलसी हठि हठि कहत नित चित सुनि हित करि मानि।
लाभ राम सुमिरन बड़ो बड़ी बिसारें हानि।21।
बिगरी जनम अनेक की सुधरै अबहीं आजु।
होहि राम को नाम जपु तुलसी तजि कुसमाजु।22।
प्रीति प्रतीति सुरीति सों राम राम जपु राम।
तुलसी तेरो है भलेा आदि मध्य परिनाम।23।