गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
दोहावली / तुलसीदास/ पृष्ठ 1
1 byte added
,
14:10, 12 मार्च 2011
हियँ निर्गुन नयनन्हि सगुन रसना राम सुनाम।
मनहुँ पुरट संपुट लसत लसत तुलसी ललित ललाम।7।
सगुल ध्यान रूचि सरस नहिं निर्गुन मन में दूरि।
तुलसी सुमिरहु रामको नाम सजीवन मूरि।8।
Dr. ashok shukla
Mover, Reupload, Uploader
7,916
edits