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सुझाई गयी कविताएं

2 bytes added, 17:32, 26 अगस्त 2007
अब आये हो तो यहाँ क्या है देखने के लिये / ये शहर कब से है वीरां वो लोग कब के गये //
गिरफ़्ता दिल थे मगर हौसला नही हारा / गिरफ़्ता दिल हैं मगर हौसले भी अब के गये //
तुम अपनी शम्ऐ-तमन्ना को रो रहे हो "फ़राज़ " / इन आँधियों मे तो प्यारे चिराग सब के गये//
--- --- प्रेषक - संजीव द्विवेदी ------
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