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अस्वीकरण
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अवसाद-3 / गगन गिल
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अभी से
बना ली है
उसने
अपनि
अपनी
जगह
इस जगह
लगने से पहले
निगलने से पहले
बूझो क्या ?
1994
</poem>
अनिल जनविजय
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