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तुलसी तनु सर सुख जलज भुज रूज गज बरजोर।
दलत दयानिधि देखिये कपि केसरी किसोर।234।
(गोस्वामी जी की बाँह मे रोग हो गया था जो श्री हनुमान जी की स्तुति से अच्छाा हो गया । यह दोहे उसी प्रसंग के कहे जाते हैं।)
भुुज तरू कोटर रोग अहि बरबस कियो प्रवेस।
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