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अब ‘विनय’ तेरे ग़म से ग़ाफ़िल नहीं रहा
देख तो वो वह मग़रूर वो संगदिल नहीं रहा
हमें कोई शिबासी दे हमने दो कि तेरा राज़ न खोलापर जानाँ ये जान लो आज से मैं बातिल नहीं रहा
तेरी कही -सुनी सब मुझे वक़्त ने भुला दीये ग़ैर तेरी अब दुश्मनी के क़ाबिल नहीं रहा
हमें जब नाज़ थे तो ये दर्द किसलिए हैं
तेरे बाद कोई चेहरा रुख़ मुस्तक़िल नहीं रहा
तुम हमसे पूछो वह शामेबेरंग शाम-ए-माज़ी की तन्हाईकभी कोई वो इतना दिल में दाख़िल नहीं रहा
तुमने ख़ुद मुझे अपना मुझको दोस्त बनाया होतातुम्हें तो कोई काम कभी कुछ भी मुश्किल नहीं रहा
हमसे एक-एक कर सब हाथ छूटते गये
मेरे कूचे में वो माहे-कामिल <ref>पूर्णिमा का चाँद</ref> नहीं रहा
सद्-हैफ़ो-अफ़सोस से कलेजा भर आया
हाए मुझे सिवा ग़म कुछ हासिल नहीं रहा
हमें कोई देता ख़ुदा मुझे दे ताक़ते-नज़्ज़ाराए-हुस्नसुना है मेरी राह में कोई हाइल <ref>बाधक</ref> नहीं रहा
साँसों का धुँआ दिल को दर्द देता दे रहा है बहुतज़िन्दगी में बाइसे-मसाइल <ref>कठिनाइयों का कारण</ref> नहीं रहा
वो गुफ़्त-गू वो मशविरे वो बयान अपने, ख़ुदा के ...तेरे ज़ख़्म देखे तो मैं बिस्मिल <ref>घायल</ref> नहीं रहा
गर्दिशे-अय्याम की रवानी को देखकरमेरा ये दिले-सौदा मुज़महिल1 मुज़महिल<ref>निष्तेज</ref> नहीं रहा
अब तो इस चमन में फिरती है खुश्क सबामस्जूदा , कोई जल्वाए-गुल नहीं रहा
हाँ, किसके दिन उम्रभर एक से रहते हैंमुझमें तो अब वह हुस्ने-अमल नहीं रहा
मेरी काविश2 काविश<ref>प्रयास</ref> का किसी राह तो हासिल होगाहैहैफ़ वह मेरे ग़म की कोई मंज़िल नहीं रहा
मैं बता अहदे-ज़ीस्त <ref>जीवन साथ बिताने का वचन</ref> करके किससे तोड़ूँमुझे तफ़रकाए-नाक़िसो-कामिल <ref>पूर्णता व अपूर्णता का भेद</ref> नहीं रहा
मुझे तुम छोड़कर छोड़ के गये लेकिन क्या बताऊँएक अरसा बर्क़े-सोज़े-दिल <ref>दिल के दर्द के बादल की बिजली</ref> नहीं रहा
तुमको जाना है तो जाओ कब हमने रोका हैकिसी के जाने इस फ़ुर्क़त का ग़म हमें मुझे बिल्कुल नहीं रहा
तेरे इस दरया को ख़्वाहिश है समंदर कीऔर सहाब अब्र<ref>बादल</ref> का बरसना मुसलसल <ref>लगातर</ref> नहीं रहा
सू-ए-शिर्क सजदे-मस्जूद किये हैं मैंनेक्योंकि कि मैं तेरे कूचे का माइल3 माइल<ref>अनुरक्त, आसक्त</ref> नहीं रहा
अब किससे करूँगा उसकी जफ़ा का शिकवा
आज से अब कोई दराज़ दस्तिए-क़ातिल नहीं रहा
इस ज़र्फ़ <ref>तरफ़</ref> कोई आये तो देखे हाल बीमार कामेराअब वो पुरसिशे-जराहते-दिल4 दिल<ref>दिल के ज़ख़्म का हाल पूछने वाला </ref> नहीं रहा
अच्छा हुआ तुमने रोज़े-आख़िर न बोला
बाद रोज़े-विदा से कोई उक़्दाए-दिल <ref>दिल की गाँठ, जिसे याद करके मन दुखी हो</ref> नहीं रहा
दु:ख दुख गिनते-गिनते ये उम्र कट जायेगीकिसी की इनायत किसी का वो तग़ाफ़ुल <ref>बातचीत</ref> नहीं रहा
ये फ़िज़ा क्यों इतनी ख़ामोश है गुलशन में
क्या आशियाँ में नालाए-बुलबुल नहीं रहा
दिल मुझे ख़्याले-यारे-वस्ल नहीं रहा
दिल, मैं जिसको दोस्त कह नहीं सकता अबमुझे उसके लिए मुझमें जज़्बाए-दिल नहीं रहा
किसको किसे खरोंचे हो अपने नाख़ून से तुमइस सीने में कोई वो जराहते-दिल नहीं रहा
उर्दीउर्दि-ओ-दै का अब मैं क्या ख़्याल रखूँ
ये कैसी जलन, मुझे तपिशे-दिल नहीं रहा
मुझे अपनी यकताई पर <ref>जिसके जैसा कोई दूसरा न हो, ऐसा महान</ref> पे बेहद नाज़ था हमकोआज भी है लेकिन वो मुतक़ाबिल मुक़ाबिल नहीं रहा
दिल, अब भी खिलती है शुआहाए-ख़ुर-फ़ज़िर मगर फ़िज़ा में वो शाहिद-ए-गुल नहीं रहा
बहुत ढूँढ़ा हमने मैंने उसके जैसा, न पाया एकसच वो नमकपाशे-ख़राशे-दिल नहीं रहा
अब ख़ुल्द <ref>स्वर्ग</ref> में रहें या दोज़ख <ref>नरक</ref> में रहें हमऐ सनम मेरा तो आबो-गिल5 गिल<ref>शरीर और आकार</ref> नहीं रहा
उस फ़ितनाख़ेज़ <ref>मुश्किलें लाने वाला</ref> का नहीं है अब डर मुझकोमुझेकि मेरे दिल में स’इ-ए-बेहासिल6 बेहासिल<ref>निष्फल प्रयत्न</ref> नहीं रहा
आँखों से निक़ाब उठाओ हटा दो कि हर वहम खुल जायेखुलेकि आज तुझमें वो तर्ज़े-तग़ाफ़ुल नहीं रहा
कहने को तो ज़ामिन नहीं मुझसा ज़माने मेंपर मगर जाने क्यों मुझे तहम्मुल7 तहम्मुल<ref>दिल की घबराहट, सहनशक्ति</ref> नहीं रहा
वो जिसकी चाप <ref>क़दमों की आहट</ref> से धड़कनें रुक जायें थींमेरी ज़िन्दगी में वो हौले-दिल नहीं रहा
ऐ लोगों मैं ख़ुद को किस ज़ात का बताऊँ
सुना है तुममें ज़रा भी कुछ दीनो-दिल नहीं रहा
दायम <ref>सदैव</ref> अपने बग़ल में पाओगे तुम हमकोहमेंचाहो तो कह भी लो मैं तुझमें मुश्तमिल8 मुश्तमिल<ref>शामिल</ref> नहीं रहा
क्यों है मुझको मुझे तेरे रूठ कर जाने का ग़मजबकि जानते हो मैं कभी भी तेरा काइल नहीं रहा
कहता तो हूँ बात दिल की मगर क्या करूँ
मेरा कोई भी ख़्याल अब मानिन्दे-गुल नहीं रहा
उसकी ख़ामोश आँखों में अयाँ थीं बातें दिल की
वो चाहकर भी कभी सू-ए-दिल नहीं रहा
किया जो मैंने तुम्हें अपना समझकर समझ कियाये दिल तेरी जफ़ा से मुनफ़’इल9 मुनफ़’इल<ref>लज्जित</ref> नहीं रहा
मैंने देखा था उसे जाते उसको ख़ुल्द की ओरजाते हुए
वो हलाके-फ़रेब-वफ़ा-ए-गुल नहीं रहा
जो कभी साहिल पर था कभी समंदर में
हाँ, उसको दाग़े-हसरते-दिल नहीं रहा
जिसपे लिखा करते थे तुम अपना नाम
शख़्स वो आज गर्दे-साहिल नहीं रहा
आज फ़ारिग10 फ़ारिग<ref>निश्चिंत</ref> हूँ कि तुम तुम्हीं हो मेरे ग़मख़्वारसो मैं हरीफ़े-मतलबे-मुश्किल11 मुश्किल<ref>कठिन काम कर लेने वाला</ref> नहीं रहा
कुछ था तो थोड़ा बहुत मैं ये मानता हूँ लेकिनपर
आज उतना भी तो सोज़िशे-दिल नहीं रहा
मैं दर्द को दिल से जुदा कर तो सकता हूँपर वो फ़ुसूने-ख़्वाहिशे-सैक़ल12 सैक़ल<ref>परिष्कृति की अभिलाषा का जादू</ref> नहीं रहा
अब मैं किस मुँह से जाऊँ बज़्म में उसकी
शैदा ये दिल दरख़ुर-ए-महफ़िल13 महफ़िल<ref>महफ़िल के योग्य</ref> नहीं रहा
देखिए शाइबाए-ख़ूबिए-तक़दीर14 तक़दीर<ref>सौभाग्य की झलक</ref> उसमेंवो दिन गया कि गये और रोज़े-अजल नहीं रहा
इश्क़ फिरता भटकता था उस रोज़ गलियों-गलियों
आज किसी में इतना भी ख़लल नहीं रहा
बढ़के आया तो लगा तेरा तीर इस दिल मेंचारासाज़ न हुआ पर जाँगुसिल15 जाँगुसिल<ref>जानलेवा, दुखदायी</ref> नहीं रहा
किसपे लिखके लिख भेजूँ मैं तुझे पयाम अपनाअब पास औराक़े-लख़्ते-दिल नहीं रहा
उसे आस्माँ के पार तक जाने की तमन्ना थी उसकोपर आइना-ए-बेमेहरि-ए-क़ातिल16 क़ातिल<ref>माशूक़ की बेरहमी का सुबूत</ref> नहीं रहा
तू मेरे मुँह से न सुनो सुन वज्हे-सुखन ईसा
ख़ुद गुलों में रंगे-अदा-ए-गुल नहीं रहा
मगर टूटा है किसी का नाज़ुक दिल मुझसे
ये डर कि मैं अब क़ाबिले-सुम्बुल नहीं रहा
अब मेरा कोई रहनुमा नहीं रहे-इश्क़ मेंतुम ख़ुश रहो तेरी कि राह में साइल17 नहीं रहा '''शब्दार्थ: १. निष्तेज २. कोशिश, द्वेष ३. अनुरक्त, आसक्त ४. दिल के ज़ख़्म का हाल पूछने वाला ५. शरीर और आकार ६. निष्फल प्रयत्न ७. दिल की घबराहट, सहनशक्ति ८. शामिल ९. लज्जित १०. निश्चिंत ११. कठिन काम कर लेने वाला १२. परिष्कृति की अभिलाषा का जादू १३. महफ़िल के योग्य १४. सौभाग्य की झलक १५. जानलेवा, दुखदायी १६. माशूक़ की बेरहमी का सुबूत १७. साइल<ref>उम्मीदवार, प्रश्नकर्ता</ref> नहीं रहा
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