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[[Category: ग़ज़ल]]
 
'''रचनाकाल : 2003
<Poem>
आदाब तुझे मेरे जानो-तन लखनऊ
है कभी आईना आइना कभी शराब-सा तू
है मेरी शोख़ी मेरा बाँकपन लखनऊ
है तू ही मुस्लमाँ और , तू ही है हिन्दूनिकहते <ref>महकते</ref> रहे तेरे गुलशन लखनऊ
लहज़ा , लुत्फ़ , ज़ुबाँ और मेरी यह ख़ू<ref>आदत</ref>
हर चीज़ है जैसे मेरा चमन लखनऊ
है जन्नतो-इरम <ref>वास्तविक और कृतिम स्वर्ग</ref> इसमें हर कू<ref>गली</ref>
लहू में दौड़ता है जाने-मन लखनऊ
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'''रचनाकाल : 2003