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== शीर्षक ==
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{{KKRachna
|रचनाकार=नज़ीर अकबराबादी
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<poem>
हो न हो दिल ही किसी आशिके शैदा का नजीर।
पहुंचा है हाथ में उसके बनकर पिचकारी।।
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