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नयनों के डोरे लाल-गुलाल भरे / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
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06:43, 20 मार्च 2011
रही यह एक ठठोली।
'''
सूर्यकान्त त्रिपाठी
निराला
जी
की यह कविता 'जागरण', पाक्षिक, काशी, 22 मार्च 1932 को 'होली' शीर्षक से छपी थी ।'''
</poem>
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