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होली-1 / नज़ीर अकबराबादी

449 bytes added, 08:00, 19 जनवरी 2016
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हुआ जो आके निशाँ निशां आश्कार<ref>व्यक्त, ज़ाहिर</ref> होली का ।का।बजा रबाब<ref>सारंगी की तरह का एक वाद्ययंत्रबाजा</ref> से मिलकर सितार होली का ।का।सुरुद<ref>गाना</ref> रक़्स<ref>नृत्य</ref> हुआ बेशुमार बे शुमार होली का ।का।हँसी-ख़ुशी हंसी खु़शी में बढ़ा कारोबार होली का ।का। ज़ुबाँ जुबां पे नाम हुआ बार-बार होली का ।।1।।का॥1॥
ख़ुशी खु़शी की धूम से हर घर में रंग बनवाए ।बनवाए।गुलाल<ref>फा. गुलैलालह, एक तरह प्रकार की लाल बुकनी, या चूर्ण जिसे हिन्दू लोग होली के दिनों पर लोग में एक-दूसरे के चेहरों पर मलते हैं</ref> अबीर<ref>श्वेत रंग की सुगन्ध मिली बुकनी जो बल्लभ कुल के मन्दिरों में होली में उड़ाई जाती है। अभ्रक का चूर्णजिसे होली में लोग अपने मित्रों के मुख पर मलते हैं। एक रंगीन बुकनी जिसे लोग होली के दिनों में अपने इष्ट मित्रों पर डालते हैं</ref> के भर-भर के थाल रखवाए ।रखवाए।नशों के जोश हुए राग-रंग ठहराए ।ठहराये।झमकते रूप के बन-बन के स्वाँग दिखलाए ।स्वांग दिखलाए। हुआ हुजूम अजब हर किनार होली का ।।2।।का॥2॥
गली में कूचे में ग़ुल गुल शोर हो रहे अक्सर ।अक्सर।छिड़कने रंग लगे यार हर घड़ी भर-भर ।भर।बदन में भीगे हैं कपड़े, गुलाल चेहरों पर ।पर।मची यह धूम तो अपने घरों से ख़ुश होकर ।खु़श होकर। तमाशा देखने निकले निगार<ref>प्रेमपात्रप्रेम पात्र</ref> होली का ।।3।।का॥3॥
बहार छिड़कवाँ छिड़कवां कपड़ों की जब नज़र आई ।आई।हर इश्क़ इश्क बाज़ ने दिल की मुराद भर पाई ।पाई।निगाह लड़ाके पुकारा हर एक शैदाई<ref>प्रेमी, आशिक</ref> ।मियाँ मियां ये तुमने जो पोशाक अपनी दिखलाई ।दिखलाई। ख़ुश खु़श आया अब जब हमें, नक़्शो-नक़्शों निगार<ref>बेल-बूटे, फूल-पत्ती</ref> होली का ।।4।।का॥4॥
तुम्हारे देख के मुँह मुंह पर गुलाल की लाली ।लाली।हमारे दिल को हुई हर तरह की ख़ुशहाली ।खु़शहाली।निगाह ने दी, मये<ref>शराब</ref> गुल रंग की भरी प्याली ।प्याली।जो हँस हंस के दो हमें प्यारे तुम इस घड़ी गाली ।गाली। तो हम भी जानें कि ऐसा है प्यार होली का ।।5।।का॥5॥
जो की है तुमने यह होली की तरफ़ा तैयारी ।तैयारी।जो हँस तो हंस के देखो इधर को भी जान यक बारी ।बारी।तुम्हारी आन बहुत हमको लगती है प्यारी ।प्यारी।लगा दो लगादो हाथ से अपने जो एक पिचकारी ।पिचकारी। तो हम भी देखें बदन पे पर सिंगार होली का ।।6।।का॥6॥
तुम्हारे मिलने का रखकर हम अपने दिल में ध्यान ।ध्यान।खड़े हैं आस लगाकर कि देख लें एक आन ।आन।यह ख़ुशदिल खु़शदिली का जो ठहरा है आन कर सामान ।सामान।गले में डाल कर बाहें ख़ुशी खु़शी से तुम ऐ जान ! पिन्हाओ हम को पिन्हाओं हमको भी एकदम एक दम यह हार होली का ।।7।।का॥7॥
उधर से रंग लिए लिये आओ तुम इधर से हम ।हम।गुलाल अबीर मलें मुँह मुंह पे होके ख़ुश खु़श हर दम ।दम।ख़ुशी खु़शी से बोलें हँसे हंसे होली खेल कर बाहम<ref>आपस में</ref> ।बहुत दिनों से हमें तो तुम्हारे सर की कसम ।कसम। इसी उम्मीद में था इन्तिज़ार होली का ।।8।।का॥8॥
बुतों<ref>प्रिय पात्र</ref> की गालियाँ हँसगालियां हंस-हँस हंस के कोई सहता है ।है।गुलाल पड़ता है कपड़ों से रंग बहता है ।है।लगा के ताक कोई मुँह मुंह को देख रहता है ।है।’नज़ीर’ ‘नज़ीर’ यार से अपने खड़ा ये यह कहता है ।है। मज़ा ‘मज़ा दिखा हमें कुछ तू भी यार होली का ।।9।।का॥9॥
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