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बल्ली बाई / अंजना बख्शी
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22:14, 26 मार्च 2011
हमारे लिए बिछा दिया करती दरी से बनी गुदड़ी और
सामने रख देती बल्ली बाई
चुरे हुए
<ref>उबले हुए</ref>
भात और उबली दाल के
साथ पोदीने की चटनी
और फटे खुरदरे हाथों की महक !!
</poem>
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अनिल जनविजय
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