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वृन्द के दोहे / भाग १
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17:08, 17 जून 2007
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[वृन्द]] <br>
लालच हू ऐसी भली ,जासों पूरे आस ।<br>
चाटेहूँ कहुँ ओस के , मिटत काहु की प्यास ॥ 10<br>
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Rdkamboj