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जेठ को न त्रास, जाके पास ये बिलास होंय / ग्वाल
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{{KKRachna
|रचनाकार=ग्वाल
}}{{KKAnthologyGarmi
}}
[[Category:पद]]
<poeM>जेठ को न त्रास, जाके पास ये बिलास होंय,
पेठे पाग केवरे में, बरफ परयो करै॥
'ग्वाल कवि चंदन, चहल मैं कपूर
चूर
पूर
,
चंदन अतर तर, बसन खरयो करै।
Himanshu
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