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बारिश / शहंशाह आलम

48 bytes added, 13:27, 31 मार्च 2011
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बहुत देर तक भीगती है झींसी में
 
पानी की बूंदों में
 
वह कुछ बोलती नहीं है सिर्फ़ नहाती है
 
बारिश में नहाते हुए
तोते के पंख से भी हल्का महसूस करती है
 
वह अपनी आत्मा को
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