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मैं इस उम्मीद पे डूबा कि तू बचा लेगा / वसीम बरेलवी
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14:33, 31 मार्च 2011
मैं उसका हो नहीं सकता बता न देना उसे
सुनेगा तो लकीरें हाथ की अपनी
वो सब
जला लेगा
हज़ार तोड़ के आ जाऊँ उस से रिश्ता वसीम
मैं जानता हूँ वो जब चाहेगा बुला लेगा
</poem>
Kartikey agarwaal khalish
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