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मौज ए ग़म गुल क़तर गई होगी / ज़िया फतेहाबादी
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09:31, 2 अप्रैल 2011
आईनाख़ाने में बा हर सूरत,
आब-ओ ताब-ए
नज़र
गुहर
गई होगी ।
हादसों आफ़तों मसाइब से,
Ravinder Kumar Soni
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