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02:01, 5 अप्रैल 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह
|संग्रह=कल सुबह होने के पहले / शलभ श्रीराम सिंह
}}
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<poem>
सींग टूट जाने की
प्रार्थना को जीता साँड़
खन्दक में गिर गया !
उसके प्रतिद्वन्दी ने
मुँह घुमा लिया !
अब तो
रक्त-स्राव ओढ़े
रौंदी ज़मीन भर शेष है !
(1965)
</poem>