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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=ज़िया फतेहाबादी |संग्रह= }}{{KKCatNazm}}<poem>दिल को दीवा दीवाना बनाना याद है
मस्तियाँ हर सू लुटाना याद है
सहन ए गुलशन में बसद हुस्न ओ जमाल