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उम्मीद / ज़िया फ़तेहाबादी
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01:36, 7 अप्रैल 2011
:तेरे रँगीन ओ हसीँ सपने हैं मकर और फ़रेब
:ज़िन्दगी तल्ख़ हक़ीक़त है तो फिर तल्ख़ सही
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Ravinder Kumar Soni
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