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क़ौस ए कुज़ाह / ज़िया फ़तेहाबादी
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01:39, 7 अप्रैल 2011
उस कमाँ से वो तीर आते हैं
जो नज़र की ख़लिश मिटाते हैं
</poem>
Ravinder Kumar Soni
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