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रह ए वफ़ा में ज़रर सूदमन्द है यारो / ज़िया फ़तेहाबादी
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11:13, 8 अप्रैल 2011
मेरे लिए वही दरवाज़ा बन्द है यारो |
ग़ज़लसराई थी जिसके लिए बगैर उसके
गुलों का ख़न्दा ए लब
ज़हरख़न्द
ज़हर ख़न्द
है यारो |
मुझे ख़बर है कि अपनी ख़बर नहीं मुझ को
मेरे सिवा भी कोई होशमन्द है यारो |
Ravinder Kumar Soni
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