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उषा / ज़िया फ़तेहाबादी

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वो उषा की देवी आई, किरणों का परचम लहराती
जीवन की सुन्दर बगिया में आशा की कलियाँ महकाती
रैन अँधेरे भागे भागे
सोनेवाले जागे जागे
उषा आई, उषा आई
तू भी जाग ओ नींद के माते जाग उजाले की पूजा कर
सोए हुए देवों को जगा दे घंटे और घड़ियाल बजा कर
खोल दिए कुदरत ने ख़ज़ाने
छेड़ दिए चिड़ियों ने तराने
उषा आई, उषा आई
कलियाँ चटकीं, सब्ज़ा लहका, गुलशन महका, जीवन दहका
सपनों में गुम रहने वाला भी इस दोराहे पर बहका
धरती ने ली इक मस्त अंगडाई
हलचल उम्मीदों ने मचाई
उषा आई, उषा आई
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