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कितने ही ज़ख़्म चाक हुए तेरे जाने के बाद/ विनय प्रजापति 'नज़र'
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21:42, 8 अप्रैल 2011
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'''लेखन वर्ष: 2003
/2011
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कितने ही ज़ख़्म चाक हुए तेरे जाने के बाद
विनय प्रजापति
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