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'''लेखन वर्ष: 2004२००४/२०११'''
जो मुझे होता है वह दर्द तुझ तक पहुँचे
यूँ इस ख़ला <ref>निर्वात, शून्य</ref> की यह खोयी गर्द तुझ तक पहुँचे
की है इस मेरे दिल ने सदा तुझसे मोहब्बतसादा-सादा ही सही इक यह ये फ़र्द <ref>धार्मिक नियम</ref> तुझ तक पहुँचे
धूप सारे आलम में महकी हुई महक रही है हर-सू<ref>सभी ओर</ref>कि मेरे सीने की यह ये सर्द तुझ तक पहुँचे
चमन-चमन में है आज मौसममौसमे-गुले-बहार<ref>बसंत के फूलों की ऋतु</ref>कभी यह ये भी हो मौसम-ए-ज़र्द <ref>पतझड़ की ऋतु</ref> तुझ तक पहुँचे
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