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यही वर दो मेरे राम / भजन
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14:07, 13 अप्रैल 2011
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}}
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<poem>अर्थ न धर्म न काम रुचि, पद न चहहुं निरवान |
जनम जनम रति राम पद, यह वरदान न आन ||
Pratishtha
KKSahayogi,
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