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तब राम राम कहि गावैगा / रैदास
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14:32, 13 अप्रैल 2011
{{KKRachna
|रचनाकार=रैदास
}} {{KKCatKavita}}
{{KKAnthologyRam
}}
<poem>तब रांम रांम कहि गावैगा।
ररंकार रहित सबहिन थैं, अंतरि मेल मिलावैगा।। टेक।।
Pratishtha
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