Changes

|संग्रह=फूल नहीं, रंग बोलते हैं-1 / केदारनाथ अग्रवाल
}}
{{KKAnthologyLove}}{{KKCatKavita‎}}<poem>
चम्पई आकाश तुम हो
 
हम जिसे पाते नहीं
 
बस देखते हैं ;
 
रेत में आधे गड़े
 
आलोक में आधे खड़े ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,720
edits