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|रचनाकार=अरुणा राय
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अभी तूने वह कविता कहाँ लिखी है, जानेमन
एक झूठी तस्सलीबख़्श नींद में ग़र्क रखता है
अभी तो बस सुरमयी सुरमई आँखें लिखीं हैं तूने
उनमें थक्कों में जमते दिन-ब-दिन
जिबह किए जाते मेरे ख़ाबों का रक्त
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