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प्रेम क्या है ? / विमल कुमार

18 bytes added, 16:50, 17 अप्रैल 2011
|संग्रह=बेचैनी का सबब / विमल कुमार
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दूसरे को जानना भी है
ख़ुद को पहचानना भी है
ग़लत को ग़“लतग़लत
सही को सही
मानना भी है
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